अम्ल (Acids): अम्ल वे यौगिक पदार्थ हैं, जिनमें एक या एक से अधिक विस्थापनशील हाइड्रोजन परमाणु विद्यमान हो तथा जिन्हें अंशतः या पूर्णतः धातुओं या धातुओं के सदृश आचरण करने वाले मूलकों द्वारा विस्थापित करने पर लवण का निर्माण होता हो, जो क्षारक या क्षार से अभिक्रिया कर लवण एवं जल बनाते हों, जिनके जलीय घोल नीले लिटमस को लाल करते हों तथा जो स्वाद में खट्टे हों।
अम्ल के गुण
(a) अम्ल स्वाद में खट्टा होता है।
(b) अच्छे एवं प्रबल अम्ल विद्युत् के सुचालक होते हैं।
(c) अम्ल धातु से क्रिया करके हाइड्रोजन गैस मुक्त करते हैं।
(d) भस्म एवं क्षार से प्रतिक्रिया करके लवण और जल बनाता है।
(e) नीले लिटमस पत्र तथा मिथाइल औरेंज को लाल कर देता है।
अम्ल सम्बन्धी आधुनिक विचारधाराएँ
(a) आरहेनियस का आयनिक सिद्धांत (Arrhenius’s Ionic Theory): अम्ल वह पदार्थ है, जो जल में घुलकर हाइड्रोजन आयन (H+) देता है।
उदाहरण
HCl + जल ⇌ H+ (aq) + Cl− (aq)
H2SO4 + जल ⇌ 2H+ (aq) + SO4— (aq)
HNO3 + जल ⇌ H+ (aq) + NO3– (aq)
CH3COOH + जल ⇌ H+ (aq) + CH3COO— (aq)
(b) ब्रान्सटेड और लॉरी (Bronsted and Lowry Theory): इस सिद्धांत के अनुसार अम्ल वे पदार्थ हैं, जो किसी दूसरे पदार्थ को प्रोटॉन प्रदान करने की क्षमता रखते हैं।
अर्थात्,
अम्ल ⇌ H+ + भस्म
CH3COOH ⇌ H+ + CH3COO–
HNO3 ⇌ H+ + NO3–
H2O ⇌ H+ + OH–
(c) लिविस का सिद्धांत (Lewis’s Electronic Theory): इस सिद्धांत के अनुसार अम्ल वह पदार्थ (अणु, आयन या मूलक) है, जिसमें इलेक्ट्रॉन का एक निर्जन युग्म (Lone Pair) स्वीकार करने की प्रवृत्ति होती है। उदाहरण- कैल्सियम ऑक्साइड (CaO) और सल्फर ट्राइऑक्साइड (SO3) के संयोग से कैल्सियम सल्फेट (CaSO4) का निर्माण।
इसमें SO3 लिविस अम्ल है।
नोट : सामान्यत: सभी धनायन लिविस अम्ल होते हैं।
अम्लों का वर्गीकरण (Classification of Acids): अम्ल दो प्रकार के होते हैं-
- ऑक्सी अम्ल (Oxy Acids): जिन अम्लों में हाइड्रोजन एवं ऑक्सीजन दोनों उपस्थित रहते हैं, उन्हें ऑक्सी अम्ल कहते हैं। जैसे- सल्फ्यूरिक अम्ल (H2SO4), फॉस्फोरिक अम्ल (H3PO4), नाइट्रिक अम्ल (HNO3), नाइट्रस अम्ल (HNO2) आदि।
- हाइड्रा अम्ल (Hydra Acids): जिन अम्लों में केवल हाइड्रोजन उपस्थित रहता है, हाइड्रा अम्ल कहलाता है। हाइड्रा अम्ल में ऑक्सीजन अनुपस्थित होता है। जैसे- हाइड्रोक्लोरिक अम्ल (HCl), हाइड्रोब्रोमिक अम्ल (HBr), हाइड्रोआयोडिक अम्ल (HI), हाइड्रोसायनिक अम्ल (HCN) आादि।
अम्लों के उपयोग
(a) सल्फ्यूरिक अम्ल का उपयोग: पेट्रोलियम के शोधन में, कई प्रकार के विस्फोटक बनाने में, रंग व औषधियाँ बनाने में, संचायक बैटरियों में आदि।
(b) नाइट्रिक अम्ल का उपयोग: औषधियों के निर्माण में, उर्वरक बनाने में, फोटोग्राफी में, विस्फोटक पदार्थों के निर्माण में, अम्लराज बनाने में, प्रयोगशाला में अभिकर्मक के रूप में आदि।
(c) हाइड्रोक्लोरिक अम्ल का उपयोग: प्रयोगशाला में अभिकर्मक के रूप में, अम्लराज बनाने में, रंग एवं औषधि निर्माण में आदि।
(e) एसीटिक अम्ल का उपयोग: विलायक के रूप में, सिरका निर्माण में, एसीटोन बनाने में, खट्टे खाद्य पदार्थ बनाने में आदि।
(e) फार्मिक अम्ल का उपयोग जीवाणुनाशक के रूप में, फलों को संरक्षित करने में, रबड़ के स्कदन में, चमड़ा उद्योग में आदि।
(f) ऑक्जेलिक अम्ल का उपयोग: फोटोग्राफी में, कपड़ों की छपाई व रंगाई में, चमड़े के विरंजक के रूप में, कपड़े पर स्याही के धब्बे को हटाने में आदि।
(g) बेंजोइक अम्ल का उपयोग: दवा व खाद्य पदार्थों के संरक्षण में आदि।
(h) साइट्रिक अम्ल का उपयोग: धातुओं को साफ करने में, खाद्य पदार्थों व दवाओं के निर्माण में, कपड़ा उद्योग में आदि।
नोट: अम्ल का pH मान 7 से कम होता है।
भस्म (Bases): क्षार धातुओं या धातुओं के सदृश आचरण करने वाले मूलकों के वे यौगिक हैं, जो अम्लों से अभिक्रिया करके लवण एवं जल बनाते हैं।