राष्ट्रवाद के पुनः जीवंत होने के कारण
- युद्धोपरांत उत्पन्न हुई आर्थिक कठिनाइयां।
- विश्वव्यापी साम्राज्यवाद से राष्ट्रवादियों का मोहभंग होना।
- रूसी क्रांति का प्रभाव।
मांटेग्यू-चेम्सफोर्ड सुधार
प्रांतों में द्वैध शासन
- प्रशासनिक कार्यों के संचालन हेतु दो सूचियां- आरक्षित एवं हस्तांतरित।
- आरक्षित सूची के अधीन सभी विषयों का संचालन कार्यकारिणी परिषद की सहायता से गवर्नर द्वारा
- हस्तांतरित सूची के अधीन सभी विषयों का संचालन व्यवस्थापिका सभा के मंत्रियों द्वारा।
- गवर्नर, गवर्नर-जनरल एवं भारत सचिव को सभी मसलों में हस्तक्षेप करने के असीमित अधिकार।
- मताधिकार में वृद्धि, शक्तियों में भी वृद्धि।
- गवर्नर-जनरल द्वारा 8 सदस्यीय कार्यकारिणी परिषद की सहायता से कार्यों का संचालन-जिसमें तीन भारतीय थे।
- प्रशासनिक हेतु दो सूचियां- केंद्रीय एवं प्रांतीय।
- द्विसदनीय केंद्रीय व्यवस्थापिका- केंद्रीय व्यवस्थापिका सभा, निम्न सदन तथा राज्य परिषद, उच्च सदन।
- दोष
- द्वैध शासन व्यवस्था अत्यंत जटिल एवं अतार्किक थी।
- केंद्रीय कार्यकारिणी, व्यवस्थापिका के प्रति उत्तरदायी नहीं थी।
- सीमित मताधिकार।
दक्षिण अफ्रीका में गांधीजी की गतिविधियां (1893-1914)
- नटाल भारतीय कांग्रेस का गठन एवं इण्डियन आोपीनियन नामक पत्र का प्रकाशन।
- पंजीकरण प्रमाणपत्र के विरुद्ध सत्याग्रह।
- भारतियों के प्रवसन पर प्रतिबंध लगाये जाने के विरुद्ध सत्याग्रह।
- टाल्सटाय फार्म की स्थापना।
- पोल टेक्स तथा भारतीय विवाहों को अप्रमाणित करने के विरुद्ध अभियान।
- गांधीजी को आंदोलन के लिये जनता के शक्ति का अनुभव हुआ, उन्हें एक विशिष्ट राजनीतिक शैली, नेतृत्व के नये अंदाज और संघर्ष के नये तरीकों को विकसित करने का अवसर मिला।
भारत में गांधीजी की प्रारंभिक गतिविधियां
- चम्पारन सत्याग्रह (1917) – प्रथम सविनय अवज्ञा।
- अहमदाबाद मिल हड़ताल (1918) – प्रथम भूख हड़ताल।
- खेड़ा सत्याग्रह (1918) – प्रथम असहयोग।
- रॉलेट सत्याग्रह (1918) – प्रथम जन-हड़ताल।
खिलाफत-असहयोग आंदोलन
तीन मांगें-
- तुर्की के साथ सम्मानजनक व्यवहार।
- सरकार पंजाब में हुयी ज्यादतियों का निराकरण करे।
- स्वराज्य की स्थापना।
प्रयुक्त की गयीं तकनीकें
सरकारी शिक्षण संस्थाओं, सरकारी न्यायालयों, नगरपालिकाओं, सरकारी सेवाओं, शराब तथा विदेशी कपड़ों का बहिष्कार, राष्ट्रीय शिक्षण संस्थाओं एवं पंचायतों की स्थापना एवं खादी के उपयोग को प्रोत्साहन, आंदोलन के द्वितीय चरण में कर-ना अदायगी कार्यक्रम ।
कांग्रेस का नागपुर अधिवेशन (दिसम्बर 1920): कांग्रेस ने संवैधानिक तरीके से स्वशासन प्राप्ति के अपने लक्ष्य के स्थान पर शांतिपूर्ण एवं न्यायोचित तरीके से स्वराज्य प्राप्ति को अपना लक्ष्य घोषित किया।
चौरी-चौरा कांड (5 फरवरी, 1922)- क्रुद्ध भीड़ द्वारा हिंसक घटनायें-जिसके फलस्वरूप गांधीजी ने अपना आदोलन वापस ले लिया।